क्या अध्यक्ष बनते ही राजस्थान में बढ़ेगी सियासी हलचल, आखिर क्यों गहलोत ने खड्गे के लिए तोड़ा प्रोटोकॉल
आखिरकार लम्बी जद्दोजहद और पोलिटिकल मेलोड्रामा के बाद 19 अक्टूबर को 137 साल पुरानी कांग्रेस को आज़ाद भारत का 17वा राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। लेकिन इसी के साथ ये सवाल भी जुडा हुआ है की क्या नया राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी परिवार के साये से मुक्त स्वतंत्र निर्णय लेने वाला होगा या गाँधी परिवार के रिमोट कंट्रोल पर चलने वाला रवर स्टाम्प.
इसी के साथ नए अध्यक्ष के जिम्मे जो शुरुआती परेशानिया सामने आने वाली है, उनमे राजस्थान का सवाल भी शामिल है. अध्यक्ष के चुनाव के लगभग साथ साथ ही राजस्थान में सत्ता व् संघठन में चल रही उठापटक जगजाहिर ही है. पिछले महीने हुई चुने हुए विधायको द्वारा जो इस्तीफा पॉलिटिक्स की गई उसके बाद पैदा हुई स्थितियों का सामना भी नये अध्यक्ष को करना ही होगा.
खडगे का चयन, राजस्थान पर असर
मौजूदा स्थितियों को देखते हुए ये माना जा सकता है की मल्लिकार्जुन खडगे सहज रूप से कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए जायेंगे. गांधी परिवार का वरदहस्त इस आशंका को प्रबल ही करता है. खडगे का अध्यक्ष बनने का असर राजस्थान पर भी पड़ना ही है. अगर खडगे अध्यक्ष बनते है तो ये अशोक गहलोत के लिए प्लस पॉइंट होगा।
ये भी पढ़े : कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव : मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर में होगा मुकाबला
इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है की गहलोत ने कांग्रेस के प्रोटोकोल को तोड़ते हुए खड़गे के समर्थन में वोट करने की अपील जारी की हैं। इसके अलावा गहलोत और खड़गे एक साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
वहीं, अगर शशि थरूर पार्टी के अध्यक्ष बनते हैं तो ये पायलेट के लिए कुछ बेहतर स्थिति मानी जा सकती है. हालाँकि थरूर के आने से गहलोत के लिए भी कुछ नेगेटिव जैसा नही है. लेकिन सम्भावना है की खडगे के लिए खुला प्रचार गहलोत के लिए माइनस हो सकता है.
वही अध्यक्ष के बाद खड्गे भी पायलट को अपने साथ रखने के पूरे प्रयास करेंगे। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर-मीणा बेल्ट में सचिन पायलट का खासा प्रभाव हैं। इस बैल्ट में जीतने के लिए पायलेट को साधे रखना कांग्रेस की मज़बूरी है.
प्रदेश संगठन में फेरबदल तय
कांग्रेस के चुनाव के बाद प्रदेश संगठन में फेरबदल होना तय है। ऐसे में गोविंद सिंह डोटासरा का प्रदेशाध्यक्ष पद से जाना भी तय है। इसकी पूरी संभावना है कि सत्ता व् संघटन में बेलेंस बनाये रखने के लिए पायलट या उन्हीं के खेमे के व्यक्ति को पीसीसी चीफ बनाया जाए। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर आगे जाकर जिला व् ब्लोक स्तर पर भी देखने को मिलेगा।
अनुशासनहीनता पर भी होगा निर्णय
राजस्थान में अध्यक्ष बदले जाने के बाद सबसे बड़ा निर्णय अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए मौजूदा सरकार के तीन नेताओं व खांटी कांग्रेसी महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को लेकर होगा. हालाँकि तीनो नेता इन्हें दिए गए नोटिस का जवाब दे चुके है. लेकिन उस पर अभी कोई निर्णय नही हुआ है.
ये भी पढ़े : चांदना के जन्मदिन पर पायलट की बधाई ने छेड़ा नया सियासी राग
54 Comments