अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ही राजस्थान में घमासान मचा हुआ है। ऐसे में राजस्थान में नए मुख्यमंत्री पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले भूचाल आ गया। हाईकमान के सचिन पायलट को राजस्थान की कमान देने की संभावनाओं के मद्देनजर सीएम अशोक गहलोत गुट के 80 से ज्यादा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। निर्दलीय विधायक और सीएम गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने 83 विधायकों के इस्तीफे का दावा किया है।
वहीं कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 93 विधायकों के इस्तीफे का दावा किया है। इस्तीफा देने वाले विधायकों का कहना है कि सचिन पायलट को छोड़कर कोई भी चलेगा। रविवार शाम को दो बार टालने के बाद आखिरकार विधायक दल की बैठक को रद्द कर दिया गया। अब जिस तरह से पायलट का विरोध हो रहा है उससे माना जा रहा है कि उनके सब्र का बांध भी जल्द ही टूट सकता है। ऐसे में आलाकमान के लिए स्थिति को संभालना पिछली बार से ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
इस पूरे मामले पर आलाकमान के प्रतिनिधि बनकर जयपुर आए अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस विधायक प्रताप खाचरियावास, धारीवाल और सीपी जोशी ने हमसे मुलाकात की और तीन मांगें रखीं। मल्लिकार्जुन खड़गे और मैं यहां कांग्रेस पर्यवेक्षकों के रूप में सीएम आवास पर बैठक करने आए थे। हम विधायकों से कह रहे थे कि सामने आइए और हमसे आमने-सामने बात करिए। लेकिन वे नहीं आए। अब मैं और मल्लिकार्जुन खड़गे जी वापस दिल्ली जा रहे हैं। हम कांग्रेस अध्यक्षा को इसकी पूरी रिपोर्ट देंगे।
अजय माकन ने बगावती तेवर दिखाने को अनुशासनहीनता भी बताया है। उन्होंने कहा कि हम सभी विधायकों से एक-एक करके बात करना चाहते थे। लेकिन विधायकों का कहना था कि हम ग्रुप्स में आएंगे। विधायकों ने हमारे सामने तीन शर्तें रखी हैं। सभी विधायक 19 अक्टूबर के बाद सीएम पर फैसला चाहते हैं। अजय माकन का कहना है कि प्रस्ताव एक लाइन का होता है, शर्तों के साथ नहीं होता। ये अनुशासनहीनता है।