कल सैफई में होगा अंतिम संस्कार, यूपी के 8 साल सीएम व दो साल रक्षा मंत्री रह चुके थे मुलायम
ना केवल उत्तरप्रदेश बल्कि कहे पुरे देश में समाजवादी राजनीति की शुरुआत करने वाले एक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ मुलायम सिंह यादव का सोमवार को 82 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. यूरिन इन्फेक्शन के चलते वे मेदांता में अपने इलाज के लिए भर्ती थे.
सोमवार सवेरे 8.16 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्विटर के माध्यम से मुलायम के निधन की जानकारी दी। मंगलवार को सैफई में राजकीय सम्मान के साथ मुलायमसिंह यादव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। वही यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक रहेगा।
मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे। pic.twitter.com/jcXyL9trsM
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 10, 2022
मोदी ने दी श्रद्धांजली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा मुलायम जमीन से जुड़े नेता थे, जो लोगों की मुश्किलों को समझते थे। उन्होंने अपनी जिंदगी लोकनायक जयप्रकाश और डॉ. लोहिया के विचारों के लिए समर्पित कर दी। इमरजेंसी के दौरान वे लोकतंत्र के अहम सैनिक थे। रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने सशक्त भारत के लिए काम किया।
प्रधानमंत्री ने लिखा- जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मेरी कई बार मुलायम सिंह यादव जी से बातचीत हुई। हमारा करीबी जुड़ाव चलता रहा और मैं हमेशा ही उनके विचार जानने के लिए तत्पर रहता था। मुलायमजी के निधन से मुझे दुख है। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाए हैं। ओम शांति..
I had many interactions with Mulayam Singh Yadav Ji when we served as Chief Ministers of our respective states. The close association continued and I always looked forward to hearing his views. His demise pains me. Condolences to his family and lakhs of supporters. Om Shanti. pic.twitter.com/eWbJYoNfzU
— Narendra Modi (@narendramodi) October 10, 2022
मेदांता से सामने आई थी बीमार मुलायम की ये तस्वीर, नीतीश कुमार मिलने पहुंचे थे
मुलायम पिछले दो साल से बीमार चल रहे थे
- मुलायम सिंह यादव दो साल से बीमार चल रहे थे। परेशानी अधिक बढ़ने पर उन्हें अक्सर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता रहा। पिछले साल उन्हें कोरोना भी हुआ था।
- 26 सितंबर 2022 को आखिरी बार चेकअप के लिए मुलायम सिंह यादव मेदांता गुरुग्राम पहुंचे थे। तब से वे आखिर तक वहीं भर्ती थे।
- 5 सितंबर 2022 को भी मुलायम सिंह को मेदांता में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
- 13 अगस्त 2022 को भी मुलायम सिंह यादव को मेदांता में भर्ती कराया गया था।
- 24 जून 2022 को रूटीन चेकअप के लिए मुलायम सिंह यादव मेदांता गए थे। तबीयत खराब होने पर उन्हें 2 दिन के लिए भर्ती किया गया था।
- 15 जून 2022 को भी मुलायम मेदांता में भर्ती हुए थे। जांच के बाद उन्हें उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया गया था।
- 1 जुलाई 2021 को मुलायम सिंह यादव की तबीयत बिगड़ी थी, तब उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- अक्टूबर 2020 में मुलायम कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे, हालांकि उन्होंने वैक्सीन लगवाई थी।
- अगस्त 2020 में पेट दर्द के चलते मेदांता में भर्ती कराए गए थे। जांच में यूरिन इन्फेक्शन का पता चला था।
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तीन बार UP के मुख्यमंत्री और सात बार सांसद रहे
जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति की। मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के CM रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गए।
1992 में सपा बनाई, फिर सियासत के महारथी बन गए
मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी। मुलायम सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इस ऐलान के एक महीने बाद यानी 4 और 5 नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया। इसके बाद नेताजी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थायी मुकाम बना लिया।
अलहदा थे मुलायम, यूं ही अलग नहीं कहलाते थे
22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। शुरुआती दिनों में मुलायम मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। मुलायम सिंह ने दो शादियां की। अखिलेश यादव मुलायम की पहली पत्नी के ही बेटे हैं।
राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे। मुलायम अक्सर अपनी परीक्षा छोड़कर कुश्ती खेलने चले जाते थे। जिन दिनों मुलायम कॉलेज में पढ़ते थे, तब एक बार कवि सम्मेलन के मंच पर उन्होंने एक दरोगा को चित कर दिया था।
दरअसल इंस्पेक्टर ने एक कवि को डांटते हुए कहा कि आप सरकार के खिलाफ कविता नहीं पढ़ सकते। मंच पर बहस हो ही रही थी कि दर्शकों के बीच बैठे मुलायम ने 10 सेकेंड में उस इंस्पेक्टर को उठाकर मंच पर पटक दिया।
खुद मुलायम ने कार्यकर्ताओं से कहा चिल्लाओ नेताजी मर गए
ये वाकया है 4 मार्च का, सन था 1984, दिन रविवार। मुलायम की इटावा और मैनपुरी में रैली थी। रैली के बाद वो अपने एक दोस्त से मुलाकात के बाद वो रवाना हुए ही थे कि उनकी गाड़ी पर फायरिंग शुरू हो गई। गोली मारने वाले थे छोटेलाल और नेत्रपाल, जो फायरिंग के बाद मुलायम की गाड़ी के सामने कूद गए।
तब तक मुलायम समझ चुके थे की उनकी हत्या की साजिश रची गई है। जान बचाने के लिए उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वो जोर-जोर से चिल्लाएं ‘नेताजी मर गए। उन्हें गोली लग गई। नेताजी नहीं रहे।’ जब उनके समर्थकों ने चिल्लाना शुरू किया तो हमलावरों को लगा कि नेताजी सच में मर गए। उन्हें मरा हुआ समझकर हमलावरों ने गोलियां चलाना बंद कर दीं और वहां से भागने लगे. इसी दौरान पुलिस की गोली लगने से एक हमलावर छोटेलाल की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरा, नेत्रपाल बुरी तरह घायल हो गया।
और वो विवादित गोलीकांड
1989 में मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम बने। 1990 में विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए कारसेवा की। 30 अक्टूबर जब कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई और वे पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ मस्जिद की ओर चल दिए। तब मुलायम सिंह ने सख्त फैसला लेते हुए प्रशासन को कारसेवको पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। पुलिस की इस गोलीबारी में 6 कारसेवकों की मौत हो गई। इसके दो दिन बाद यानि 2 नवंबर 1990 को एक बार फिर से हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए, मुलायम के आदेश पर पुलिस ने फिर से एक बार गोलियां चलाई जिसमे करीब एक दर्जन कारसेवकों की मौत हो गई।
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