T 84 arrowhead : रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक दुखद खबर सामने आई है, जिसने पूरे वन्यजीव प्रेमियों को शोक में डाल दिया है। जंगल की शान और रणथंभौर की सबसे लोकप्रिय बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ ने लगभग 16 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। बीमारी और उम्र से जुड़ी परेशानियों से जूझते हुए, एरोहेड ने जोगीमहल के पास अपनी अंतिम सांस ली, जहां उसका बचपन बीता था।
कौन थी टी-84 एरोहेड?
टी-84 एरोहेड रणथंभौर की दिग्गज बाघिन टी-19 (कृष्णा) की बेटी थी। उसकी नानी का नाम ‘मछली’ था, जिसे दुनिया भर में रणथंभौर की पहचान माना जाता है। टी-84 ने उसी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाया था। उसके पिता का नाम टी-28 उर्फ स्टारमेल था। टी-19 ने मई 2011 में पहली बार दो नर और एक मादा शावक (टी-63 मादा, टी-64 और टी-65 नर) को जन्म दिया था। बाद में मार्च 2014 में टी-19 ने दूसरी बार चार शावकों (दो मादा और दो नर) को जन्म दिया। इनमें से एक शावक की जल्द ही मृत्यु हो गई, लेकिन बाकी तीन में टी-84 भी शामिल थी। उसके माथे पर तीर जैसी स्पष्ट आकृति के कारण उसे ‘एरोहेड’ नाम मिला था।
टी-84 ने अपनी मां की तरह ही जोन 2, 3 और 4 (राजबाग और नालघाटी क्षेत्र) में अपना इलाका बनाया, जो कृष्णा का भी पसंदीदा क्षेत्र रहा था। टी-84 ने भी अपनी मां और नानी की परंपरा को जारी रखा था। उसके शावकों की पीढ़ियां रणथंभौर की बाघों की आबादी के लिए नई उम्मीद बनी हैं।
कब-कब मां बनीं ‘एरोहेड’?
फरवरी 2018: उसे पहली बार दो छोटे शावकों के साथ देखा गया।
जनवरी 2019: इस बार भी उसने शावकों को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया।
जुलाई 2021: इस बार तीन शावक थे, जिन्हें बाद में अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।
जुलाई 2023: रणथंभौर में टी-84 ने तीन शावकों को जन्म दिया।
इन संतानों के माध्यम से एरोहेड ने न केवल अपनी वंशावली को आगे बढ़ाया, बल्कि रणथंभौर की बाघों की आबादी को भी मज़बूत किया।
मगरमच्छ से भिड़ंत, जो बनी अंतिम संघर्ष
हाल ही में एरोहेड ने अपनी नानी ‘मछली’ की तरह एक मगरमच्छ का शिकार किया था। हालांकि, वह लड़ाई उसके लिए बहुत भारी साबित हुई। घायल एरोहेड पहले से ही बीमारी और कमजोरी से जूझ रही थी, और इस संघर्ष से उसका शरीर और थक गया। बीते कुछ दिनों से उसकी स्थिति बेहद नाज़ुक हो गई थी। वह ठीक से चल-फिर भी नहीं पा रही थी और बार-बार अपने बचपन की पसंदीदा जगह जोगीमहल चली जाती थी। आखिरकार उसी जगह पर, एरोहेड ने अंतिम सांस ली।