राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल बिल के विरोध में गुरुवार को पूरे राज्य में मेडिकल सेवाएं बंद रहेंगी। प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों के समर्थन में अब
सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बुधवार पूरे दिन सामूहिक कार्य बहिष्कार का निर्णय किया है। ऐसे में राज्य में बुधवार को पीएचसी, सीएचसी, उप जिला हॉस्पिटल, जिला हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में ओपीडी सर्विस बंद रहेगी। इस पूरे विरोध-प्रदर्शन में 15 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स और टीचर फैकल्टी शामिल होंगी।
मेडिकल ऑफिसर और पीएचसी-सीएचसी के डॉक्टर्स की यूनियन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ ने पहले से ही 29 मार्च को कार्य बहिष्कार का ऐलान किया हुआ है। अब इनके समर्थन में सरकारी मेडिकल कॉलेज के टीचर्स भी आ गए हैं। इसमें सीनियर प्रोफेसर, प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर रैंक की फैकल्टी शामिल हैं।
राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि बंद के दौरान केवल ओपीडी का बहिष्कार रहेगा। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों और आईसीयू में भर्ती मरीजों का इलाज क्या जाएगा। इसके लिए व्यवस्थाएं की जाएंगी।
आपको बता दें कि राजस्थान में मेडिकल ऑफिसर्स रैंक के लिए करीब 14,500 डॉक्टर्स हैं, जो जिलों में सीएमएचओ, डिप्टी सीएमएचओ, पीएचसी-सीएचसी, उपजिला हॉस्पिटल, जिला हॉस्पिटल में सर्विस दे रहे हैं। गांव और छोटे कस्बों में मरीजों को देखने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर है। वहीं, बड़े शहरों में मेडिकल कॉलेज और उनसे अटैच हॉस्पिटल में ओपीडी के साथ आईपीडी में भर्ती मरीजों को देखने के लिए सीनियर डॉक्टर्स के तौर पर फैकल्टी को सरकार ने जिम्मेदारी दे रखी है। इनकी संख्या दो से ढाई हजार है।
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