राजस्थान के डीजीपी उमेश मिश्रा ने सोमवार को जयपुर पुलिस मुख्यालय में साल 2022 के काम का लेखा-जोखा रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में रेप के 42 प्रतिशत केस झूठे होते हैं। वहीं, देश में ये संख्या 8 प्रतिशत है। डीजीपी मिश्रा ने कहा कि दूसरे राज्य रेप जैसे गंभीर मामले में या तो केस दर्ज नहीं करते या जांच सही से नहीं करते। जिसकी वजह से इसका लाभ कई बार अपराधियों को मिलता है।
डीजीपी मिश्रा ने बताया कि राजस्थान में पुलिस को स्पष्ट निर्देश है कि केस दर्ज होने में कोई ढील नहीं होनी चाहिए। झूठा प्रकरण होगा तो एफआर दी जाएगी। झूठा केस दर्ज करवाने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि साल 2022 में पिछले साल की तुलना में झूठे मुकदमे करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई में कुल 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में राजस्थान का 12वां स्थान है। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्य हैं। पेंडिंग मामले में राष्ट्रीय एवरेज 24.9 है, जबकि राजस्थान की 10.4 है। सजा प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 32.0 है, जबकि राजस्थान की 48.0 है।
डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि साइबर अपराधी, मादक पदार्थ, अवैध हथियारों से जुड़े अपराधियों और भू-माफियाओं पर कड़ी निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 4 साल में कोर्ट से आरोपियों को 12 मामलों में मृत्युदण्ड की सजा, 466 प्रकरणों में 20 वर्ष के कठोर कारावास से आजीवन कारावास की सजा और 750 प्रकरणों में अन्य सजा कराई गई है। मिश्रा ने कहा कि 2022 में 2021 की तुलना में 11.61 प्रतिशत केस ज्यादा दर्ज हुए। 2022 में 31.83 प्रतिशत मामले ऐसे रहे, जिसमें कुछ नहीं निकला। 2021 में ये 30.44 प्रतिशत था ।
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