उत्तराखंड के जोशीमठ में मंगलवार को दो होटल गिराए जाएंगे। यहां मकानों में दरारें आने के बाद एक्सपर्ट टीम ने बडे होटल्स को गिराने का फैसला लिया है। लग्जरी होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू में से पहले मलारी इन को गिराया जाएगा। दोनों 5-6 मंजिला होटल हैं। टीमें मंगलवार सुबह बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंची।
इन होटल्स को गिराने का काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्ज इंस्टीट्यूट यानी CBRI की निगरानी में होगा। यहां SDRF की टीम भी मौके पर मौजूद है। इस मामले पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग की अपील की थी, लेकिन अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। अब इस मामले में सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
SDRF का कहना है कि मंगलवार को होटल मालारी इन गिराने का फैसला किया है। सबसे पहले इसका ऊपरी हिस्सा गिराया जाएगा। ये दोनों होटल एक-दूसरे के काफी करीब आ चुके हैं। इनके आसपास मकान हैं इसलिए इन्हें गिराना जरूरी है। SDRF का कहना है कि होटल और ज्यादा धंसे तो गिर जाएंगे। मौके पर SDRF तैनात कर दी गई है। लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जा रहा है।
दूसरी ओर, उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का फैसला किया है। ये जोन डेंजर, बफर और सेफ जोन होंगे। डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं। ऐसे मकानों को मैन्युअली गिराया जाएगा, जबकि सेफ जोन में वैसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है। बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है। वहीं, एक्सपर्ट्स की एक टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।
इधर, उत्तराखंड की पावर प्रोड्यूसर कंपनी NTPC ने कहा है कि तपोवन विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट का जोशीमठ में हो रहे लैंडस्लाइड से कोई लेना-देना नहीं है। आपको बता दें कि जोशीमठ लैंडस्लाइड के लिए NTPC के एक हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदी गई, जिस वजह से शहर धंस रहा है। हालांकि NTPC ने इन सब बातों को खारिज किया है।
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