लोकसभा में बुधवार को तीन नए क्रिमिनल विधेयक ( 3 naye kanoon konse hai) पास हो गए। अब इसे राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
इसे पेश करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah) ने कहा- अग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है, इसकी जगह नया देश द्रोह का कानून लगेगा। अमित शाह ने कहा कि नाबालिग से रेप और मॉबलिंचिंग जैसे क्राइम में फांसी की सजा दी जाएगी।
बिल पर लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून, जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे। वह कानून अब तक चलता रहा। पहली बार नरेन्द्र मोदी जी (Narendra Modi) ने सरकार में आते ही ऐतिहासिक फैसला करते हुए राजद्रोह की धारा 124 को खत्म कर इसे हटाने का काम किया।
अमित शाह ने कहा कि मैंने राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया है, क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। यह उनका अधिकार है। लेकिन अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अमित शाह ने कहा कि अगर कोई सशस्त्र विरोध करता है, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी, उसे आजाद रहने का हक नहीं, उसे जेल जाना ही पड़ेगा। शाह ने कहा कि कुछ लोग इसे अपनी समझ के कपड़े पहनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैंने जो कहा उसे अच्छी तरह समझ लीजिए। देश का विरोध करने वाले को जेल जाना ही होगा।
बच्ची से रेप के आरोपी को फांसी की सजा
अमित शाह ने कहा कि पहले रेप (Rape) की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है, उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है। उन्होंने कहा कि गैंगरेप को भी आगे रखा गया है। बच्चों के खिलाफ अपराध (Crime) को भी आगे लाया गया है। पहले मर्डर 302 था, अब 101 हुआ है। गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल होगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 18, 16 और 12 साल की उम्र की बच्चियों से रेप में अलग-अलग सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि 18 से कम से रेप में आजीवन कारावास (Jail) और मौत की सजा। गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक की सजा और 18 साल से कम की बच्ची के साथ रेप में फिर फांसी की सजा का प्रावधान रखा है।
उन्होंने कहा कि सहमति से रेप में 15 साल की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है। अगर 18 साल की लड़की के साथ रेप करने पर नाबालिग रेप में आएगा। पहले किडनैपिंग 359, 369 था, अब 137 और 140 होगा। ह्यूमन ट्रैफिकिंग 370, 370 ए था अब 143, 144 हुआ है। नए कानून के अनुसार हिट एंड रन (Hit and Run) केस में 10 साल की सजा मिलेगी।
हिट एंड रन कानून क्या है? hit and run kanoon kya hai?
नए भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, अगर किसी ड्राइवर के लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते कोई गंभीर सड़क दुर्घटना होती है और वह पुलिस या किसी अधिकारी इस घटना की जानकारी दिए बिना चला या भाग जाता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। जिसके लिए 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
पहले हिट एंड रन कानून क्या था?
भारतीय न्याय दंड सहिंता में पहले हिट-एंड-रन (Hit and run kanoon) जैसी घटनाओं के लिए कोई सीधा कानून नहीं था। हालांकि इसके बजाय, ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए IPC की धारा 304ए का प्रयोग किया जाता था। जिसके मुताबिक, लापरवाही से किए गए किसी काम की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो अधिकतम दो साल की जेल या जुर्माना हो सकता है।
ट्रक ड्राइवर्स हिट एंड रन कानून का विरोध क्यों कर रहे?
नए हिट एंड रन कानून Hit and run की आलोचना मुख्य रूप से दुर्घटना की जगह छोड़ने के लिए सख्त सजा के आसपास केंद्रित है। क्योंकि नए कानून के मुताबिक, ड्राइवर को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। जबकि पुराने नियम के तहत 2 साल की सजा और जुर्माना भी काफी कम था। ऐसे में अब ड्राइवर चिंतित हैं कि दुर्घटना भले ही पूरी तरह से उनकी गलती की वजह से न हुई हो, लेकिन इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है.
गैर इरादतन हत्या को कैटेगिरी में बांटा
नए कानून के अनुसार संगठित अपराध की भी पहली बार व्याख्या की गई है, इसमें साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है। इससे न्यायपालिका का काम काफी सरल होगा। इसके अन्तर्गत गैर इरातन हत्या को दो हिस्सों में बांटा गया है, अगर गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है, फिर आरोपी अगर घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली हत्याओं को गैर इरादतन हत्या में रखा गया है। इसकी भी सजा बढ़ गई है। शाह ने कहा कि इसके लिए मैं एक अमेंडमेंट लेकर आउंगा, डॉक्टरों को इससे मुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा, स्नैचिंग के लिए कानून नहीं था, अब कानून बन गया है। शाह ने कहा कि किसी के सर पर लाठी मारने वाले को सजा तो मिलेगी, इससे ब्रेन डेड की स्थिति में आरोपी को 10 साल की सजा मिलेगी। इसके अलावा भी कई बदलाव हैं।
नए कानून में पुलिस की जवाबदेही तय होगी
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी। शाह ने कहा कि अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी। किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी।
नए कानून के अनुसार जांच और केस के विभिन्न चरणों की जानकारी पीड़ित और परिवार को भी देने के लिए कई पॉइंट जोड़े गए हैं। शाह ने कहा कि तीनों कानूनों के अहम प्रावधान– भारतीय न्याय संहिता की बात करूं तो इसमें कई मानव संबंधी अपराधों को पीछे रखा गया था। उन्होंने कहा कि रेप के मामले, बच्चों के खिलाफ अपराधों को आगे रखा गया है।
तीन दिन में FIR दर्ज करनी होगी
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता– देश में न्याय मिलने में गरीबों को मुश्किल होती है। लेकिन गरीबों के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। पुलिस की ओर से दंडित कार्रवाई- CrPC में कोई समय निर्धारित नहीं है। पुलिस 10 साल बाद भी जांच कर सकती है। उन्होंने कहा कि अब तीन दिन के भीतर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी। पुलिस को तीन से सात साल की सजा में 14 दिन के भीतर जांच करके FIR रजिस्टर करनी होगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब बिना किसी देर के रेप पीड़िता की रिपोर्ट को भी 7 दिन के भीतर पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजना होगा। पहले 7 से 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि लोग कहते थे, जांच चल रही है ऐसा बोलकर सालों केस लटकाए जाते थे। अब 7 से 90 दिनों का समय रहेगा, अब ये समय पूरा होने के बाद 90 दिनों का ही समय मिलेगा। उन्होंने कहा कि 180 दिनों के बाद आप चार्जशीट लटकाकर नहीं रख सकते।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर ही आरोपी आरोप स्वीकार कर लेगा तो सजा कम हो जाएगी। उसके बाद सजा कम नहीं होगी। शाह ने कहा कि ट्रायल की प्रक्रिया में कागज रखने का प्रावधान नहीं था, अब इसे 30 दिन में पूरा करना होगा। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ट्रायलिंग के दौरान अनुपस्थित रहने के मामले में भी प्रावधान किया गया है, कुछ लोगों को इससे आपत्ति हो सकती है।
आरोपी की गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में कई केस लटके हुए हैं, बॉम्बे ब्लास्ट (Bombay Blast) जैसे केसों के आरोपी पाकिस्तान जैसे देशों में छिपे हैं। अब उनके यहां आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे 90 दिनों के भीतर कोर्ट (Court) के सामने पेश नहीं होते हैं तो उसकी गैरमौजूदगी में ट्रायल होगा, फांसी भी होगी, जिससे आरोपियों को उस देश से वापस लाने की प्रोसेस आसान होगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब लंबे समय तक किसी को जेल में नहीं रख सकते, अगर उसने सजा का एक तिहाई समय जेल में गुजार लिया है तो उसे रिहा किया जा सकता है।
आधी सजा काटने पर मिल सकती है रिहाई
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है। जजमेंट सालों तक नहीं लटकाया जा सकता। मुकदमा (Case) समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा। निर्णय देने के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले सालों तक दया याचिकाएं (PIL) दाखिल की जाती थीं। दया की याचिका दोषी की कर सकता है पहले कोई एनजीओ या कोई संस्थान ऐसी याचिकाएं दाखिल करता था। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से याचिका खारिज होने के बाद 30 दिन के भीतर ही दया याचिका दाखिल की जा सकेगी।
आतंकवाद मानवाधिकार के खिलाफ
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारा वादा था कि हम आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखेंगे। पहले इसका जिक्र ही नहीं था, जहां उनकी (कांग्रेस) सरकार होती थी, वहां लोगों के खिलाफ UAPA नहीं लगाते थे।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश के कानून में आतंकवाद को रोकने की धाराएं नहीं थीं, संसद में बैठे लोग उसे मानवाधिकार बताकर विरोध करते थे। जबकि आतंकवाद मानवाधिकार के खिलाफ है।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ये अंग्रेजों का शासन नहीं है, जो आप आतंकवाद का बचाव कर रहे हैं। मोदी सरकार (Modi Sarkar) में ऐसी दलीलें नहीं सुनीं जाएंगी। अब इसकी व्याख्या कर दी गई है, जो देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा को खतरे में डालकर भय फैलाने का काम करता है, उसे आतंकवादी माना जाएगा।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब इसमें विरोध की कोई गुजाइश नहीं हैं, जो लोग आतंकवादी कृत्य करते हैं उनके लिए कोई दयाभाव नहीं होना चाहिए।
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