rajasthan me sabse prasidh mandir : राजस्थान न केवल अपने शौर्य और साहस से भरे इतिहास और भव्य किलों के लिए विख्यात है, बल्कि यहाँ के प्राचीन मंदिर भी इसकी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसीलिए राजस्थान को शक्ति और भक्ति की धरा कहा जाता है। ये मंदिर सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, आस्था के केंद्र और सदियों पुरानी कहानियों व किंवदंतियों के साक्षी रहे हैं।
राजस्थान का हर एक मंदिर अपने आप में इतिहास समेटे हुए है, जो तत्कालीन शासकों की धार्मिक निष्ठा, कला प्रेम और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। इस आर्टिकल में हम राजस्थान के उन प्रसिद्ध मन्दिरों के बारे में जानेंगे जिन्होंने अपनी भव्यता, ऐतिहासिक महत्व और लोक आस्था से विशिष्ट पहचान बनाई है।
1. दिलवाड़ा जैन मंदिर, माउंट आबू
राजस्थान के जैन मंदिरों में सर्वोपरि आबू के दिलवाड़ा मंदिर अपनी अद्वितीय संगमरमर की नक्काशी के लिए विश्वभर में जाने जाते हैं। दरअसल, दिलवाड़ा के जैन मन्दिर पांच मंदिरों का एक समूह हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी खास विशेषता है।
मन्दिर का इतिहास : दिलवाड़ा जैन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच करवाया गया था। विमल वसाही मंदिर, जो भगवान आदिनाथ को समर्पित मन्दिर है, इसका निर्माण 1031 ईस्वी में चालुक्य राजा भीमदेव प्रथम के मंत्री विमल शाह ने करवाया था। वहीं, लूना वसाही मंदिर, 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है, इसका निर्माण 1230 ईस्वी में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाइयों ने करवाया था। ये मन्दिर राजस्थान की सबसे बेहतरीन स्थापत्य कला का उदाहरण है।
2. ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर
अजमेर जिले के पास पुष्कर में स्थित यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित भारत का एकमात्र प्रमुख मंदिर है। पुष्कर झील के पवित्र तट पर स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मन्दिर का इतिहास : ब्रह्मा जी के वर्तमान मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में होना बताया जाता है। हालांकि यहां पर मन्दिर होने की शुरुआत को और इसके मूल को और भी प्राचीन काल से जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने यहाँ पर एक यज्ञ किया था। इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर में विशाल मेला भी लगता है, जिसमें देशभर से लोग पहुंचते हैं।
3. करणी माता मंदिर, देशनोक
बीकानेर शहर के पास देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के लिए विख्यात है। यहां हजारों की संख्या में चूहे मंदिर परिसर एवं करणी माता के आसपास खुलेआम घूमते हैं। चुहों को यहां पवित्र माना जाता है।
इतिहास: 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर करणी माता को समर्पित है, जिन्हें मॉं दुर्गा का अवतार माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार, देवी माता करणी के वंशज मृत्यु के बाद चूहों का रूप ले लेते हैं, और पुनर्जन्म लेकर मनुष्य के रूप में वापस आते है। इन चूहों को काबा कहा जाता है, और इनकी सेवा करना पवित्र कार्य माना जाता है।
4. रणकपुर जैन मंदिर, रणकपुर
पाली जिले में स्थित रणकपुर के जैन मंदिर अपनी असाधारण वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां का चौमुखा मंदिर सबसे अधिक प्रख्यात है। यह राजस्थान के सबसे भव्य जैन मंदिरों में से एक है।
इतिहास: मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित इस मन्दिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के महाराणा कुंभा के संरक्षण में जैन व्यापारी धरणक शाह ने करवाया था। यह मंदिर 1444 नक्काशीदार खंभों पर टिका है। कहा जाता है कि यहां पर कोई भी दो खंभे एक जैसे नहीं हैं।
5. एकलिंगजी मंदिर, उदयपुर
उदयपुर से कुछ दूरी पर नाथद्वारा हाइवे के पास स्थित एकलिंगजी मंदिर मेवाड़ राजपरिवार के आराध्य देव भगवान शिव को समर्पित है। इसके मंदिर परिसर कई छोटे-छोटे मंदिर और भी हैं। एकलिंग जी को मेवाड़ का राजा कहा जाता है।
इतिहास: मेवाड़ के शासक बप्पा रावल द्वारा 8वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर का बाद की शताब्दियों में कई बार जीर्णोद्धार और विस्तार हुआ है। यहाँ भगवान शिव की काले पत्थर की चार मुखी प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर मेवाड़ के महाराणाओं की शिव भक्ति का प्रतीक है। मेवाड़ के सभी महाराणा एकलिंगजी को मेवाड़ का राजा मानकर दीवान यानी सचिव की तरह काम करते थे। यह राजस्थान के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है।
6. गोविंद देव जी मंदिर, जयपुर
जयपुर शहर में स्थित गोविंद देव जी मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह वैष्णव संप्रदाय के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।
इतिहास: इस मन्दिर का निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में वृंदावन से लाई गई भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति को मुगल क्रूर शासक औरंगजेब के आक्रमण से बचाने के लिए जयपुर लाया गया था। मंदिर में रखी मूर्ति की स्थापना चैतन्य महाप्रभु के शिष्य रूप गोस्वामी ने की थी। जयपुर के राजा भी खुद को गोविंद देव जी का सेवक मानते थे।यह राजस्थान के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में से एक है।
7. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, दौसा
दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यह मन्दिर भूत-प्रेत बाधाओं और असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इतिहास: इस मंदिर के निर्माण की कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है लेकिन बताया जाता है कि यह मन्दिर कई सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। यहाँ हनुमान जी की बाल स्वरूप मूर्ति स्थापित है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी समस्याओं के निवारण के लिए आते हैं। यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है।
8. सालासर बालाजी मंदिर, चूरू
चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर भी भगवान हनुमान जी को समर्पित महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ हनुमान जी की दाढ़ी-मूंछ वाली प्रतिमा स्थापित है, जो देश में अनोखी है।
इतिहास: इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में हुआ था। किंवदंती है कि एक किसान को खेत में हनुमान जी की यह मूर्ति मिली थी। जिसके बाद उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया। यह मंदिर भी अपनी चमत्कारी शक्तियों और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करने के लिए जाना जाता है।
9. श्री नाथजी मंदिर, नाथद्वारा
उदयपुर से लगभग 48 किलोमीटर दूर नाथद्वारा में स्थित श्री नाथजी मंदिर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित है। यह पुष्टिमार्ग संप्रदाय का एक प्रमुख केंद्र है।
इतिहास: बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहा था, तब भगवान श्रीनाथजी की मूर्ति को वृंदावन से सुरक्षित नाथद्वारा लाकर स्थापित किया गया था। तब से यह स्थान पुष्टिमार्ग के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थ है।
10. त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर
रणथंभौर किले के भीतर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर भगवान श्री गणेश जी को समर्पित भारत के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां गणेश जी की प्रतिमा में तीसरा नेत्र भी उकेरा हुआ है।
इतिहास: इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। यहाँ भगवान गणेश अपने पूरे परिवार यथा पत्नियों रिद्धि-सिद्धि और पुत्रों शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के लिए भी जाना जाता है। जहाँ लोग शादी, गृह प्रवेश या किसी भी शुभ कार्य का पहला निमंत्रण पत्र भगवान गणेश को भेजते हैं। यह राजस्थान के प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक है।
11. खाटू श्याम जी मंदिर, सीकर
सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी मंदिर भगवान श्री कृष्ण के कलियुगी अवतार, खाटू श्याम जी को समर्पित है। यह राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लाखों भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इतिहास: खाटू श्याम जी मन्दिर की स्थापना 1027 ईस्वी में हुई थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1720 ईस्वी में अभय सिंह ने करवाया था। खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से है, जब वह पांडू पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के पराक्रमी पुत्र बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण के कहने पर युद्ध भूमि में अपना शीश दान कर दिया था। कहा जाता है कि इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में उनकी पूजा उनके ही नाम से होगी। तब से उनकी इस स्थान पर श्याम बाबा के रूप में पूजा होती है।
राजस्थान के ये प्रसिद्ध मंदिर जीवंत विरासत के प्रतीक हैं, जो सदियों से सनातन संस्कृति, कला और आध्यात्मिकता को संजोए हुए हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व की दृष्टि से बल्कि राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से भी विशिष्ट स्थान रखते हैं। अगर आप राजस्थान घुमने का प्लान बना रहे हो तो, आपको इन मन्दिरों के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए।