राजस्थान में में एक बार फिर बिजली का संकट बढ़ गया है। अनुमान है कि मानसून के बाद यह संकट और ज्यादा गहराएगा, ऐसे हालात बनते नज़र आ रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक दिन पहले अधिकतम डिमांड 15,111 मेगावाट तक पहुंच गई थी जबकि बिजली की उपलब्धता 13,994 मेगावाट ही थी। औसत डिमांड भी 12924 मेगावाट रही। ऐसे में 1,117 मेगावाट बिजली कम पड़ गई।
जानकारी के अनुसार 8 सितम्बर को भी अधिकतम डिमांड 15, 800 मेगावाट तक पहुंच गई थी। ऐसे में प्रदेश में बिजली की कुल खपत एक दिन में 31 करोड़ यूनिट के पार जा चुकी है। ये अगस्त महीने की सर्वाधिक खपत 27 करोड़ यूनिट से भी 4 करोड़ यूनिट ज्यादा है। अगस्त महीने में सबसे ज्यादा बिजली खपत 30-31 अगस्त को रिकॉर्ड की गई थी। जब एक दिन में करीब 27 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई थी। जबकि 17 अगस्त को 19 करोड़ यूनिट सबसे कम बिजली खपत भी अगस्त महीने में रिकॉर्ड की गई।
जानकारी में सामने आया है कि सोलर और विंड पावर प्रोडक्शन में भी करीब 2000 मेगावाट की कमी आई है। इसका कारण इन दोनों की मौसम पर निर्भरता है। सामान्य मौसम में 3100 मेगावाट तक मिलने वाली सोलर एनर्जी बादल के कारण 2500 मेगावाट तक ही मिल पा रही है। इसी तरह विंड एनर्जी में भी 1400 मेगावाट का लॉस दर्ज किया गया है। साथ ही कोयले की कमी के चलते भी प्रदेश में भविष्य में बिजली संकट उत्पन्न हो सकता है।
स्त्रोत – दैनिक भास्कर