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राजस्थान में 12वीं की किताबों पर क्या है विवाद? शिक्षा मंत्री ने क्यों उठाए सवाल

न्यूज डेस्क। राजस्थान में कक्षा 12 की इतिहास की किताब आजादी के बाद स्वर्णिम इतिहास को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी और मनमोहन सिंह तक कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों और नेताओं को प्रमुखता से दिखाया गया है, जबकि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहीं उल्लेख तक नहीं है। इसी वजह से राज्य सरकार ने इस किताब को छात्रों को पढ़ाने से इनकार कर दिया है।

क्या है विवाद?

यह किताब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) द्वारा तैयार की गई है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी के 11 साल के कार्यकाल का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि कांग्रेस नेताओं के कई फोटो और विवरण शामिल किए गए हैं। किताब के दूसरे भाग में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरें कवर पेज पर हैं, और पूरे पुस्तक में कांग्रेस के नेताओं की 15 से अधिक तस्वीरें हैं। वहीं, मोदी, वाजपेयी, भैरोंसिंह शेखावत, वसुंधरा राजे जैसे नेताओं का कोई उल्लेख नहीं है।

क्या बोले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर

राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि यह किताब कांग्रेस का महिमामंडन करती है, ऐसा लगता है जैसे देश के विकास में सिर्फ कांग्रेस का ही योगदान रहा हो। उन्होंने कहा कि इस तरह की एकतरफा किताब को स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि इसमें लोकतंत्र की हत्या करने वालों की गाथाएं हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी का कोई जिक्र नहीं है।

कांग्रेस सरकार के समय तैयार हुई किताब

बताया जा रहा है कि यह किताब कांग्रेस सरकार के समय तैयार हुई थी और अब उसमें सिर्फ 2025 जोड़कर दोबारा छाप दी गई है। विभागीय अफसरों और पाठ्यक्रम समिति ने पुराने संस्करण को बिना किसी बदलाव के फिर से छपवा दिया।

बोर्ड और पुस्तक मंडल का क्या कहना है?

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का कहना है कि बोर्ड किताबों के लिए पहले सरकार से अनुमोदन लेता है, और सरकार की मंजूरी के बाद ही किताबें छपती हैं। वहीं, पुस्तक मंडल का कहना है कि उनका काम केवल किताबें छापने और वितरित करने का है, वे यह नहीं देखते कि किताब में क्या लिखा गया है।