काशी से 9 गुना बड़ा है महाकाल लोक, 11 अक्तूबर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे पीएम मोदी
लम्बे इंतजार के बाद आख़िरकार महादेव अपने अद्भुतमहाकाल लोक में विराजने जा रहे है. उज्जैन में पीएम मोदी 11 अक्टूबर यानि, मंगलवार को महादेव के इस अनूठे महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे. 4 साल की मेहनत के बाद अपने स्वरूप में आये महाकाल लोक के पहले चरण में करीब 15 हजार टन राजस्थानी पत्थर लगाया गया है। ये पहले चरण ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से 4 गुना बड़ा है। अपने दूसरे चरण का काम पूरा होने के बाद यह काशी से 9 गुना बड़ा हो जाएगा।
क्या है महाकाल लोक?
सरकार द्वारा उज्जैन में 856 करोड़ रुपए की लागत 47 हेक्टेयर में फैले 946 मीटर के इस महाकाल लोक को विकसित किया जा रहा है। कॉरिडोर में भगवन शिव से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की जानकरी मिलेगी। कोडीडोर में लगाने के लिए शमी, बेलपत्र, नीम, पीपल, रुद्राक्ष और वटवृक्ष रोपे गए हैं। इस महाकाल लोक की कल्पना उज्जैन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के आने के साथ ही की गई। महाकालेश्वर मंदिर को देखते हुए राज्य सरकार ने 5 साल पहले इसकी सहमति दी। धीरे धीरे इस योजना में बदलाव व् सुधार होते गए. बाद में तय हुआ कि इस महाकाल लोक का विस्तार दो अलग-अलग फेज में किया जाएगा।
पत्थरो पर कथाएं उकेरने के लिए शास्त्र खंगाले, स्वीकृत कराया…
महाकाल लोक में 384 मीटर लंबी म्यूरल्स वॉल बनाई गई है। इस पर शिव की 25 कथाओं को 52 म्यूरल्स में प्रदर्शित किया गया है। इन कथाओं में अधिकांश शिव पुराण, श्रीमद् भागवत, देवी भागवत और अन्य ग्रंथों से लिया गया है। इन्हें बनाने में 10 महीने का वक्त लगा।
ऐसा होगा महाकाल लोक का स्वरूप
महाकाल लोक में प्रवेश करते ही मिड-वे जोन के तहत पूजन सामग्री की दुकाने, रेस्टोरेंट आदि की सुविधा मिलेगी। यहाँ महाकाल की कथाओं से युक्त म्यूरल वॉल, सप्तसागर के लिए डेक एरिया और डेक के नीचे शॉपिंग क्षेत्र और बैठने की व्यवस्था भी है। वाहन पार्किंग की सुविधा त्रिवेणी संग्रहालय के पास बनाई गई है। जिसमे करीव 600 से अधिक गाड़ियो की पार्क की व्यवस्था की जा सकेंगी। यहीं धर्मशाला आदि भी बनेगे.
रामघाट वाले रस्ते पर फेरी व ठेले वालों के लिए व्यवस्था की गई है। रामघाट पर लेजर शो भी रखा गया है। छोटा रुद्रसागर लेक में लैंड स्केपिंग सहित मनोरंजन केंद्र, वैदिक वाटिका, योग केंद्र, मंत्र ध्वनि स्थल व पार्किंग विकसित की जा रही है।
महाकाल लोक को चारों ओर से खुला बनाया जा रहा है। चार द्वार हैं- पिनाकी, शंख, नंदी और नीलकंठ। दूसरे फेज में एक या दो मुख्य द्वार और बनाए जाएंगे। इन चारों गेट से आप महाकाल लोक में प्रवेश कर सकते हैं। चारधाम रोड से पिनाकी द्वार मिलेगा। नीलकंठ द्वार बेगमबाग, शंख द्वार गणेश मंदिर के ठीक सामने और नंदी द्वार के लिए त्रिवेणी संग्रहालय के पास से रास्ता है।
महाकाल लोक का मुख्य द्वार नंदी है। उसके आगे गणेश भगवान की बड़ी प्रतिमा है, सामने नंदी द्वार है। नंदी द्वार में प्रवेश करते ही ठीक सामने 108 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर भगवान शिव के नटराज स्वरूप की अलग-अलग मुद्राओं को उकेरा गया है। सीधे हाथ पर 25 फीट ऊंची दीवार पर शिव गाथा उकेरी गई है। उल्टे हाथ पर कमल सरोवर है। यहां महाकाल की प्रतिमा विराजित की गई है। भगवान शंकर यहां निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हुए नजर आ रहे हैं। इनके सामने 4 शेर बनाए गए हैं। इसी ओर रुद्रसागर भी है।
पिनाकी द्वार भी रुद्रसागर के किनारे से ही है। पिनाकी द्वार से घुसते ही नवग्रह के साथ गजानन और कार्तिकेय के दर्शन होंगे। त्रिपुरासुर वध की गाथा भी देखने-सुनने को मिलेगी। यहां छोटे से पार्क में त्रिशूल के साथ रुद्राक्ष, डमरू और ओम की आकृति उकेरी गई है। भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर के वध के समय धनुष उठाया था। ये धनुष पिनाक के नाम से जाना जाता है। द्वार के शिखर पर धनुष की आकृति भी बनी है।
आगे महाकाल पथ में 25 दीवारों पर करीब 52 और सप्तऋषि पर 28 म्यूरल बनाए गए हैं। सबसे बड़ा म्यूरल रूद्रसागर के सामने है। पूरे कैम्पस में कुल 81 म्यूरल बने हैं।
शिव का गुणगान करेंगी प्रतिमाएं…
भक्तों को यहां नीलकंठ महादेव, सती के शव के साथ शिव, त्रिवेणी प्लाजा पर शिव, शक्ति और श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं, कैलाश पर शिव, यम संवार, गजासुर संहार, आदि योगी शिव, योगेश्वर अवतार, कैलाश पर रावण की प्रतिमाएं शिव की महिमा का गुणगान करती मिलेंगी।
- 18 फीट की 8 प्रतिमाएं:नटराज, गणेश, कार्तिकेय, दत्तात्रेय अवतार, पंचमुखी हनुमान, चंद्रशेखर महादेव की कहानी, शिव और सती और समुद्र मंथन दृश्य।
- 15 फीट ऊंची 23 प्रतिमाएं:शिव नृत्य, 11 रुद्र, महेश्वर अवतार, अघोर अवतार, काल भैरव, शरभ अवतार, खंडोबा अवतार, वीरभद्र द्वारा दक्ष वध, शिव बरात, मणिभद्र, गणेश व कार्तिकेय के साथ पार्वती, सूर्य, कपालमोचक शिव।
- 11 फीट की 17 प्रतिमाएं:प्रवेश द्वार पर गणेश, अर्धनारीश्वर, अष्ट भैरव, ऋषि भारद्वाज, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, कश्यप और जमदग्नी।
- 10 फीट की 8 प्रतिमाएं:लेटे हुए गणेश, हनुमान शिव अवतार, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, लकुलेश, पार्वती के साथ खेलते गणेश।
- 9 फीट की 19 प्रतिमाएं:यक्ष, यक्षिणी, सिंह, बटुक भैरव, सती, पार्वती, ऋषि भृंगी, विष्णु, नंदीकेश्वर, शिवभक्त रावण, श्रीराम, परशुराम, अर्जुन, सती, ऋषि शुक्राचार्य, शनिदेव और ऋषि दधिचि।
ये है महाकाल काल मंदिर के मौजूदा स्वरूप की कहानी
देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। मंदिर आज जैसा दिखता है, पुराने समय में ऐसा नहीं था। 11वीं सदी में गजनी के सेनापति और 13वीं सदी में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश के मंदिर ध्वस्त करने के बाद कई राजाओं ने इसका दोबारा निर्माण करवाया।
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