न्यूज डेस्क। राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में 13 नवंबर 2024 को हुए उपद्रव और आगजनी के मामले में गिरफ्तार निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 93 दिन बाद भी जमानत नहीं मिली। आज हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने इस पर फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के इस निर्णय से उनके समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है।
हाईकोर्ट में सुनवाई और फैसला
हाईकोर्ट में 12 फरवरी को नरेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी, लेकिन अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 13 फरवरी की शाम को इस केस की फाइल को सब्लिमेंट्री में जोड़कर शुक्रवार सुबह 10:30 बजे और फिर दोपहर 2 बजे निर्णय सुनाने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद अदालत ने दोपहर में अपना फैसला सुनाते हुए नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज कर दी।
मामला क्या था?
देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान 13 नवंबर को समरावता गांव के लोगों ने अपने गांव को उनियारा उपखंड में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। इसी दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी ग्रामीणों के समर्थन में धरने पर बैठ गए थे। तीन लोगों के जबरन वोट डालने के आरोप में नाराज होकर उन्होंने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद, 14 नवंबर को पुलिस ने उन्हें धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया और 15 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया था।