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नरेश मीणा थप्पड़ कांड : जमानत मिली लेकिन जेल में रहेंगे,अब तक 26 मामले दर्ज, 12 अब भी चल रहे!

न्यूज डेस्क। विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में नरेश मीणा को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने उन्हें जमानत दी है। लेकिन फिलहाल वे जेल में ही रहेंगे।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, नवंबर 2024 में देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान टोंक जिला के समरावता गांव के लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार किया था। इस आरोप लगा कि ग्रामीणों से वोटिंग करवाई जा रही है। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए। नरेश मीणा ने अधिकारियों पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया। वे पोलिंग बूथ पर पहुंचे और एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया।

एसडीएम की भूमिका पर उठाए सवाल

ऐसे में नरेश मीणा के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि यह एक आकस्मिक घटना थी, लेकिन पुलिस ने इसे जानलेवा हमले का मामला बना दिया, जो इस प्रकरण में उपयुक्त नहीं है। नरेश मीणा के वकीलों ने कहा कि इस घटनाक्रम में एसडीएम की भूमिका भी संदिग्ध रही है। उन्होंने जबरन मतदान करवाया था, जो जांच का विषय है। उनका कहना है कि घटना दिन में हुई थी, लेकिन एफआईआर देर रात एसडीएम की शिकायत पर दर्ज करवाई गई, जिससे स्पष्ट होता है कि मामला सुनियोजित तरीके से दर्ज किया गया।

अब तक 26 मामले दर्ज

बताया जा रहा है कि नरेश मीणा के खिलाफ 26 मामले दर्ज थे, जिनमें से 5 में वे बरी हो चुके हैं और कुछ मामलों को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। वर्तमान में उन पर केवल 12 मामले दर्ज हैं। नरेश मीणा के वकीलों का कहना है कि इस मामले में चालान पेश किया जा चुका है, ट्रायल में लंबा समय लग सकता है। नरेश मीणा घटना के दिन से ही कस्टडी में हैं। ऐसे में उन्हें जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए।

मीणा पर चार एफआईआर, इसलिए अभी जेल में रहेंगे

दरअसल, विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए थप्पड़कांड और समरावता हिंसा को लेकर पुलिस ने नरेश मीणा के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज की थीं। इनमें से दो मामलों में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने चारों एफआईआर को दो में ही समाहित कर दिया। ऐसे में थप्पड़कांड में उन्हें जमानत मिल गई है, जबकि समरावता हिंसा मामले में जमानत पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब फैसले का इंतजार है। जब तक इस मामले में जमानत नहीं मिलती, तब तक वे जेल में ही रहेंगे।

कई गाड़ियों में लगा दी थी आग

एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद नरेश मीणा वापस जाकर धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच गाड़ी रोकने को लेकर विवाद हुआ। पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया। जैसे ही यह सूचना उनके समर्थकों को मिली, वे उग्र हो गए।

सैकड़ों प्रदर्शनकारी नरेश मीणा को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर ले गए। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया और ग्रामीणों पर पथराव का आरोप भी लगाया गया। हिंसा के दौरान गांव में कई गाड़ियों में आग लगा दी गई थी।

समरावता हिंसा मामले में जमानत पर बहस पूरी

समरावता हिंसा मामले में नरेश मीणा की दूसरी जमानत याचिका पर शुक्रवार को अदालत में सुनवाई हुई है। इसी अदालत ने 14 फरवरी को उनकी पहली याचिका खारिज कर दी थी।

नरेश मीणा के वकीलों का कहना है कि समरावता हिंसा मामले में लगाए गए आरोप निराधार हैं। जब हिंसा हुई, उस समय नरेश पुलिस कस्टडी में थे। राष्ट्रीय एससी-एसटी आयोग की रिपोर्ट में भी माना है कि पुलिस ने अत्यधिक बल प्रयोग किया था, जिसकी आवश्यकता नहीं थी। आयोग की सिफारिश पर सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा भी दिया है।

आपको बता दें कि इस मामले में नरेश सहित 63 लोगों के खिलाफ पुलिस चालान पेश कर चुकी है। इनमें से अधिकांश को जमानत मिल चुकी है, केवल नरेश मीणा ही अभी जेल में हैं। अदालत ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया है।