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मेवाड़ पूर्व राजघराने में क्या है विवाद? जानें पूरा मामला

उदयपुर। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह का सोमवार को चित्तौड़गढ़ में महाराणा पदवी के लिए दस्तुर हुआ। वे मेवाड़ के 77वें महाराणा होंगे। राजशाही खत्म होने के बाद भी पदवी का यह दस्तुर मेवाड़ में निभाया जाता है।

विश्वराज सिंह के राजतिलक की रस्म पर विवाद छिड़ गया है। महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने विश्वराज सिंह को परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए थे, हालांकि बाद में खोल दिए गए।

चित्तौड़गढ़ किले में राजतिलक की रस्म के दौरान विश्वराज सिंह को 21 तोपों की सलामी दी गई। विश्वराज एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे। मेवाड़ राजवंश के 77वें महाराणा के लिए पूरे रास्ते में फूल बिछाए गए थे।

उदयपुर पूर्व राजघराने में क्या है विवाद?

उदयपुर का सिटी पैलेस और एकलिंगजी मंदिर उदयपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के पास है। महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़, जिनका हाल की में 10 नवंबर 2024 को निधन हुआ, उनके सगे बड़े भाई थे। दोनों के पिता भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ महेंद्र सिंह मेवाड़ ने कोर्ट में कुछ केस दायर किए थे।

बताया जाता है कि 1984 में भगवत सिंह मेवाड़ ने महेंद्र सिंह मेवाड़ से संबंध खत्म कर दिए थे। इसके बाद से सिटी पैलेस सहित परिवार की संपत्ति की देखरेख अरविंद मेवाड़ कर रहे हैं। वहीं, स्व. महेंद्र सिंह मेवाड़ का परिवार सिटी पैलेस के पास समोर बाग में रहता है।

भगवत सिंह के निधन के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म निभाई गई थी। अब उनके निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह का राजतिलक किया गया है। अरविंद मेवाड़ का दावा है कि महेंद्र सिंह मेवाड़ को पिता भगवत सिंह ने बहिष्कृत कर दिया था और उनकी वसीयत के एग्जीक्युटर वे खुद हैं। इसलिए वे सिटी पैलेस और एकलिंग मंदिर में उन्हें राजतिलक की रस्म निभाने नहीं देना चाहते।

दोनों परिवारों के बीच संपत्तियों को लेकर भी विवाद है। कोर्ट ने महेंद्र सिंह मेवाड़, अरविंद सिंह मेवाड़ और उनकी बहन योगेश्वरी कुमारी को सिटी पैलेस, शाही निवास सहित सभी संपत्ति 4-4 साल के लिए देने का आदेश दिया था। हालांकि बाद में उस पर स्टे मिल गया। तब से उदयपुर के पूर्व राजघराने की ज्यादातर संपत्ति अरविंद सिंह मेवाड़ के अधिकार में है।

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