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BREAKING :  5 घंटे तक बिना दरवाजे वाले कमरे में बैठा रहा, फिर भीड़ पर टूट पड़ा! 

न्यूज डेस्क। बालोतरा में लेपर्ड द्वारा तीन लोगों पर हमले की खबर है। बताया जा रहा है कि लेपर्ड को देख लोगों ने हल्ला किया तो उसने 3 लोगों पर अटैक कर दिया। इसके बाद लेपर्ड बकरियों के बाड़े की तरफ भाग गया। लोगों का कहना है कि इस लेपर्ड का मूवमेंट 15 दिन से रिफाइनरी एरिया में था। ग्रामीणों पर अटैक करने के बाद लेपर्ड वहीं पर एक बिना दरवाजे वाले कमरे में घुस गया, और करीब पांच घंटे तक वहीं बैठा रहा और फिर कमरे से निकलकर भारतमाला की तरफ भाग गया। घटना बालोतरा जिले के मंडली के सेड़वा कला गांव की है।

बालोतरा वन विभाग का कहना है कि लेपर्ड जिस कमरे में बैठा था, उसका दरवाजा नहीं था और दो खिडकियां भी खुली थी। ऐसे में उनको ट्रेंकुलाइजर गन का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद रात 10 बजे के करीब लेपर्ड कमरे से निकलकर भाग गया। बालोतरा, बाड़मेर और जोधपुर की टीमें उसके पगमार्क ढूंढते हुए भारतमाला तक पहुंची। इस एरिया में लेपर्ड की तलाश की जा रही है।

समझिए पूरा घटनाक्रम…

दरअसल, सोमवार शाम 5 बजे सबसे पहले रोडवा कला गांव के बस स्टैंड के सामने लेपर्ड देखा गया। बस स्टैंड के सामने ही लेपर्ड नजर आया तो एकदम ग्रामीणों ने हल्ला कर दिया। इसके बाद वह वहां स्थित छप्पर से निकलकर बकरियों के बाड़े की तरफ चला गया। इसी दौरान वहां मौजूद लोगों में से तीन जनों पर वह झपट पड़ा। ऐसे में उसके पंजे लगने से दो जनें घायल हो गए और एक को भी मामूली खरोंचें आईं।

इस बीच ग्रामीणों ने पुलिस व वन विभाग को सूचना दी। सोमवार रात 9 बजे मंडली पुलिस और वनविभाग की टीमें आई तो सही, लेकिन कुछ खास नहीं कर नहीं पाई। टीमें लेपर्ड की निगरानी करती रही, लेकिन लेपर्ड कमरे से नहीं निकला। ग्रामीणों के अनुसार, बालोतरा व जोधपुर की वन विभाग टीमें रात 9 बजे तक भी मौके पर नहीं पहुंची। रात 9 बजे बाद बालोतरा वन विभाग मौके पर पहुंचा, लेकिन संसाधन नहीं होने के कारण लेपर्ड को पकड़ नहीं सके।

रिफाइनरी में 2 लोगों को किया था घायल

बताया जा रहा है कि ​​​​25 मार्च को भी पचपदरा रिफाइनरी के अंदर दोपहर बाद लेपर्ड ने हमला कर दो जनों को चोटिल कर दिया था। भीड़भाड़ व हल्ला होने पर लेपर्ड रिफाइनरी के अंदर एक पिलर के नीचे छुपकर बैठ गया। इसके बाद तीन दिनों तक लेपर्ड इसी के आसपास नजर आता रहा।
जिससे श्रमिकों व रिफाइनरी क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया। उस दौरान भी करीब 15 दिनों तक वन विभाग की टीमें रिफाइनरी में डेरा डाले रही, लेकिन लेपर्ड हाथ नहीं आया। अब करीब डेढ़ माह बाद फिर लेपर्ड की मूवमेंट दिखा, लेकिन इस बार भी हाथ खाली ही रहे।