न्यूज़ डेस्क। राजस्थान के जोधपुर स्थित एक विशेष अदालत ने कमलेश प्रजापत के कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सीबीआई मामलों की सुनवाई करने वाली इस विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट को खारिज करते हुए दो आईपीएस अधिकारियों समेत 24 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी की भूमिका की भी जांच कराने का निर्देश दिया है। यह फैसला कमलेश प्रजापत की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।
क्या है मामला?
यह मामला करीब चार साल पुराना है। कमलेश प्रजापत, जो बाड़मेर का निवासी और एक कुख्यात तस्कर था, हिट एंड रन सहित कई आपराधिक मामलों में वांछित था। 22 अप्रैल 2021 को बाड़मेर और पाली पुलिस की टीमों ने एक एनकाउंटर में उसे मार गिराया। पुलिस का दावा था कि कमलेश ने एक पुलिसकर्मी की हत्या करने की कोशिश की थी, जिसके चलते आत्मरक्षा में कार्रवाई करनी पड़ी।
लेकिन इसके बाद सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल हुए, जिनमें देखा गया कि पुलिसकर्मी कमलेश की कार का शीशा तोड़कर उसे दूसरी गाड़ी में बैठा रहे हैं। वीडियो में कमलेश किसी भी प्रकार का हमला करता नहीं दिखा, लेकिन फिर भी एक पुलिसकर्मी ने उस पर गोलियां चलाईं। यह दावा किया गया कि ये वीडियो सीसीटीवी फुटेज से लिए गए हैं। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया और प्रजापत समुदाय के लोगों के साथ-साथ कांग्रेस और बीजेपी नेताओं ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया। तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी पर आरोप लगे कि उन्होंने पुलिस के साथ मिलकर यह एनकाउंटर करवाया।
सीबीआई जांच
तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार से सीबीआई जांच की मांग की गई, जिसे राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी। सीबीआई ने जांच के बाद मामले को बंद करते हुए क्लोज़र रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी। लेकिन कमलेश की पत्नी जसोदा ने इस रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी। इसके बाद विशेष अदालत ने कमलेश के परिजनों और अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए। विशेष मजिस्ट्रेट अनुभव तिवारी ने याचिका स्वीकार करते हुए पाली के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कालूराम रावत, बाड़मेर के तत्कालीन एसपी आनंद शर्मा समेत 24 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और अन्य धाराओं में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।
साथ ही अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह पूर्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी, तत्कालीन जोधपुर रेंज आईजी नवज्योति गोगोई और अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच करे और दो महीने में अदालत में रिपोर्ट पेश करे।
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