जयपुर, 14 सितंबर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर शुरू की गई इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शहरी क्षेत्र के वंचित, गरीब एवं बेरोजगार वर्ग को बड़ा संबल दे रही है। हर हाथ को रोजगार के उद्देश्य के साथ शुरू की गई इस योजना में मात्र 6 दिन में ही एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्र के जरूरतमंद तबके में इस योजना को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
स्थानीय निकाय विभाग के शासन सचिव जोगाराम ने बताया कि योजना के तहत अब तक 2 लाख 45 हजार से अधिक परिवारों के जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इन परिवारों के 3 लाख 83 हजार 639 लोगों का नाम जॉब कार्ड में शामिल है। योजना में अब तक 96 हजार 452 परिवारों के एक लाख 39 हजार 798 लोगों ने रोजगार की मांग की है। मांग के अनुरूप योजना शुरू होने के मात्र 6 दिवस में ही लगभग एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि योजना में मांग के अनुरूप तुरंत प्रभाव से रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। राज्य सरकार का प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति आजीविका के लिए रोजगार से वंचित नहीं रहे।
जोगाराम ने बताया कि योजना में अकुशल श्रमिक की मजदूरी 259 रुपये प्रति दिवस, मेट का मानदेय 271 रुपये एवं कुशल श्रमिक की मजदूरी 283 रुपये प्रतिदिवस निर्धारित की गयी है। रोजगार प्राप्त करने वाले श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान भी निर्धारित अवधि में सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ऐसी योजना शुरू करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इसमें शहरों के हर जरूरतमंद परिवार के 18 से 60 वर्ष की आयु के लोगों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
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