आलाकमान के नोटिस पर मंत्री का जवाब, जिसने (पायलेट) बगावत की, उसकी पैरवी कर रहे थे माकन
पिछले दिनों कांग्रेस के प्याले में उठे तूफ़ान के बाद हाल फिलहाल सब कुछ सुलझा हुआ दिखाई दे रहा है. लेकिन राजनीति के जानकारों की माने तो ये सब दिखावटी है. आलाकमान के नोटिस पर दिए जवाबो के बाद आरोपियों के लिए पार्टी कुआ रुख अपनाती है, अब सब कुछ उसी पर निर्भर करता है.
25 सितंबर को सीएम निवास पर प्रस्तावित कांग्रेस विधायक दल की बैठक की बजाय यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर हुई विधायको की बैठक को अनाधिकृत मानते हुए पार्टी आलाकमान ने इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में मानते हुए इस सारे प्रकरण में प्रभारी अजय माकन की रिपोर्ट को आधार मानते हुए तीनो नेताओ, शांति धारीवाल, महेश जोशी व धर्मेन्द्र राठौड़ को नोटिस जारी किये.
इनमे से शांति धारीवाल ने नोटिस का जवाब दे दिया है। जबकि महेश जोशी नोटिस का जवाब तैयार कर रहे हैं। वही धर्मेंद्र राठौड़ अपने जवाब में अनुशासनहीनता के आरोपों को नकार चुके है।
नोटिस में क्या आरोप लगाये गए है
अनुशासनहीनता :आरोप है की धारीवाल ने सीएम आवास पर प्रस्तावित विधायक दल की बैठक की बजाय अपने घर पर पैरेलल विधायक दल की बैठक की। विधायको पर दबाव बनाकर उन्हें आधिकारिक बैठक में नहीं जाने दिया.
विधायकों को कन्फ्यूज किया : संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर धारीवाल ने गैर आधिकारिक बैठक रखकर विधायकों को कंफ्यूज किया।
समझाने के बावजूद ऐसी हरकत : प्रभारियो ने शुरुआत से बार-बार स्पष्ट किया कि वे विधायको से एक एक करके बातचीत करने आए हैं। और इसी के आधार पर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को देंगे. लेकिन सीएम समर्थक सामूहिक बैठक पर अड़े रहे.
धारीवाल ने क्या जवाब दिया
धारीवाल ने खुद को कांग्रेस का अनुशासित सिपाही बताते हुए लिखा है कि वे आलाकमान के आदेश की अवहेलना के बारे में सोच भी नहीं सकते
उन्होंने सीएम निवास जाने से किसी विधायक को नहीं रोका। विधायक सामान्य रूप से उनके घर आये, जिस तरह पक्षपातपूर्ण तरीके से एक ही नाम के लिए विधायकों को कन्विन्स किया जा रहा था, उससे उनके मन में यह डर था कि पक्षपात होगा।
धारीवाल ने कहा कि बगावत करने वालों में से किसी को CM बनाने के लिए प्रभारी कैसे पैरवी कर सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 102 विधायक 34 दिन तक होटलों में रहे, वे विधायक इस तरह की कोशिशों से खुद को आहत महसूस कर रहे थे।
मैंने कहीं भी पार्टी विरोधी बात नहीं की। सरकार बचाने वाले विधायकों की भावनाओं का सम्मान करना जिम्मेदारी बनती है।
(धारीवाल ने अपने जवाब मीडिया के सामने जाहिर नहीं किये है, ये कयास धारीवाल के बयानों और सामान्य मीडिया रिपोर्ट के आधार पर तैयार किये गए है)
महेश जोशी के जवाब – महेश जोशी ने नोटिस का जवाब तैयार कर लिया है, लेकिन अभी भेजा नहीं है।
धर्मेंद्र राठौड़ ने शांति धारीवाल के घर अनधिकृत तौर पर विधायक दल की बैठक बुलाने में खुद की भूमिका होने से इनकार किया है।
जवाब मिलने के बाद आलाकमान का क्या रुख हो सहता है
पहला विकल्प : तीनों को पद से हटाना
आलाकमान तीनो के जवाब से संतुष्ट ना होने की स्थिति में तीनों नेताओ को पद से या पार्टी से हटा सकता है। हालांकि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति और आने वाले चुनावो को देखते हुए ये स्थिति किसी भी सूरत में बनते हुए नजर नहीं आ रही है.
दूसरा विकल्प : तीनों को माफ़ी
जैसी कांग्रेस की सूबे में स्थिति बन चुकी है, ज्यादा सम्भावना इसी बात की है की आलाकमान तीनों के जवाब से संतुष्ट होने का मैसेज देते हुए तीनो को क्लीन चिट दे सकता है.
तीसरा विकल्प : बीच का रास्ता निकला जाये
बीच का रास्ता निकालने के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का तरीका अपनाया जा सकता है। ऐसे में इन तीनों के खिलाफ आरोप तो रहेगे, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं करने की हिदायत देकर छोड़ा जा सकता है।
चौथा विकल्प : मामले को लटकाए रखा जाये
कांग्रेस की मौजूदा स्थिति उसे कुछ कड़ा निर्णय लेने की इजाजत नही देती, वही खुद आलाकमान और पायलेट ग्रुप गहलोत खेमे को दंड दिलाये बिना मानेंगे नही, ऐसे में मामले को लटकाए रखना खुद आलाकमान के कद और पार्टी दोनों के लिए फायदेमंद नजर आता है