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रामसेतू पर केन्द्र का जवाब, पुख्ता सबूत नहीं, क्योंकि इतिहास 18 हजार साल पुराना

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पौराणिक कथाओं के अनुसार भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में बने रामसेतु को लेकर लगातार बहस होती रही है। इसी बीच अब केंद्र सरकार की तरफ से संसद में इसे लेकर जवाब दिया गया है। सरकार ने कहा है कि रामसेतु के वजूद के पूरे सबूत अभी नहीं मिले हैं। हरियाणा से निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया। सांसद ने पूछा कि क्या सरकार हमारे गौरवशाली इतिहास को लेकर कोई साइंटिफिक रिसर्च कर रही है? उनका आरोप था कि पिछली सरकारों ने इस मुद्दे को तवज्जो नहीं दी। उनके इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जवाब दिया।

सरकार की तरफ से जवाब देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा, हमारी कुछ सीमाएं हैं, क्योंकि ये करीब 18 हजार साल पहले का इतिहास है। जिसकी बात हो रही है वो करीब 56 किमी लंबा था। स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए पता लगाया गया है कि समुद्र में पत्थरों के कुछ टुकड़े पाए गए हैं, इनमें कुछ ऐसी आकृति हैं जो निरंतरता को दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र में कुछ आइलैंड और चूना पत्थर जैसी चीजें दिखीं हैं। अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये कहना मुश्किल है कि रामसेतु का वास्तविक स्वरूप वहां मौजूद है। मंत्री ने कहा कि हालांकि कुछ संकेत ऐसे भी हैं जिनसे ये पता चलता है कि स्ट्रक्चर वहां मौजूद हो सकता है। हम लगातार प्राचीन द्वारका शहर और ऐसे मामलों की जांच के लिए काम कर रहे हैं।

आपको बता दें कि रामसेतु को लेकर पहले से ही कई तरह की थ्योरी सामने आती रही हैं। बीजेपी लगातार कांग्रेस पर ये आरोप लगाती आई है कि वो रामसेतु के अस्तित्व को नहीं मानती। वहीं, अब केन्द्र सरकार के संसद में जवाब से मामला और गरमा गया है। अब कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है।

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