आख़िरकार केंद्र सरकार ने विवादित संघटन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, यानी PFI पर 5 साल के लिए प्रतिबन्ध लगा ही दिया. इसके अलावा पीएफआई से जुड़े 8 और संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय द्वारा इन संगठनों को प्रतिबंधित करने के सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किया है। सरकार को इन सभी संघटनो के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं।
इन संगठनों पर भी प्रतिबंध
- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
- कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
- ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
- नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
- नेशनल विमेन्स फ्रंट
- जूनियर फ्रंट
- एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
- रिहैब फाउंडेशन
इन वजहों से लगा बैन:
- PFI और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की सुरक्षा, अखंडता, शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं।
- एजेंसियों का दावा है कि PFI के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स का सम्बन्ध SIMI और बांग्लादेश के जमात-उल-मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित संगठनो से हैं।
- PFI ने अपने संघटन के साथ कुछ और संघटन भी बनाये, जो समाज में युवाओं, महिलाओं, इमामों और कमजोर वर्गों के बीच अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाने में जुटे थे
2006 में मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में फैल चुका है।
दंगों से हत्या तक में PFI का नाम, 15 साल में 20 राज्यों में पहुंचा संगठन
PFI की जड़ें 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए खड़े हुए आंदोलनों से जुड़ती हैं। 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की थी। इसके बाद इसका नाम दंगों से हत्या तक में जुड़ा। संगठन 15 साल में 20 राज्यों तक पहुंच गया।
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