बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने मनु स्मृति और रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है, उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है। चंद्रशेखर RJD से विधायक हैं।
शिक्षा मंत्री डॉ. चन्द्रशेखर पटना के ज्ञान भवन में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में अतिथि थे। यहां उन्होंने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, न कि नफरत से। देश में छह हजार से अधिक जातियां हैं। जितनी जातियां हैं, उतनी ही नफरत की दीवार है। जब तक यह समाज में मौजूद रहेगी, भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता।
शिक्षामंत्री डॉ. चन्द्रशेखर ने कहा कि संघ और नागपुर से जुड़े लोग समाज में नफरत फैलाते हैं। संबोधन के दौरान उन्होंने रामचरितमानस का दोहा अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए… पढ़ते हुए कहा कि यह समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। अधम का मतलब होता है नीच, नीच जाति के लोगों को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था, नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके जहरीले हो जाते हैं जैसे कि सांप दूध पीने के बाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है।
शिक्षा मंत्री कार्यक्रम से निकलकर मीडिया के सामने भी अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा कि किसी जमाने में पहले मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया। फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की। आज के समय में गुरु गोलवलकर का विचार समाज में नफरत फैला रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मनुस्मृति को बाबासाहेब अंबेडकर ने इसलिए जलाया था, क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक छीनने की बातें करता है। रामचरितमानस में ऐसे कई छंद हैं, जो समाज में नफरत पैदा करते हैं।
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