उदयपुर। शहर में ऐसे गिरोह का खुलासा हुआ है, जो गरीब लोगों के बैंक खातों की डिटेल खरीदकर ऑनलाइन ठगी करने वालों को बेचकर पैसा कमा रहा था। जिला स्पेशल टीम और हिरणमगरी थाना पुलिस ने सबसिटी सेंटर में कार में बैठ गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। खुलासा हुआ है कि ये जिन खातों को खरीदते थे, वे ऐसे गरीब व आदिवासी लोगों के होते थे, जिन्हें अपने खातों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती थी, और उनका दरुपयोग भी हो सकता है, इससे अनजान होते थे। ऐसे लोगो की केवाईसी भी अधूरी होती थी और नेट बैंकिंग की सुविधा शुरू की हुई नहीं होती थी। ऐसे में इनमें होने वाले पैसे के लेन-देन के बारे में मूल मालिक को पता ही नहीं चलता था। इन तीनों को खातों की जानकारी अलग-अलग गांवों के 7 बदमाश उपलब्ध कराते हैं। उनकी पहचान कर ली गई है और तलाशी जारी है।
उन बदमाशों से ये तीनों (जो गिरफ्तार हुए) 15 से 20 हजार में खातों की पूरी डिटेल खरीदते और 40 हजार में साइबर ठगों को बेच देते थे। इसके अलावा जितना ट्रांजेक्शन होता है, उसके बदले में आरोपियों को 2 प्रतिशत कमीशन भी मिलता है। ये अब तक 197 खाते बेच चुके हैं। इन खातों में देशभर से ठगी गई 129.72 करोड़ की राशि का लेन-देन सामने आया है। इसके अलावा 719 केस भी दर्ज हैं। इसमें से 20 केस प्रदेश के हैं। ये आरोपी सट्टे की आईडी और ऑनलाइन गेमिंग एप के लिए भी बैंक खाते बेचते हैं। इसके बदले भी कमीशन मिलता है।
आरोपियों में 2 उदयपुर, 1 चित्तौड़ निवासी
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपियों में उदयपुर के पानेरियों की मादड़ी हाल जीजी कॉम्पलेक्स सेक्टर-14 निवासी हर्षवर्धन झा, कानोड़ हाल आरबीएच कॉलोनी गोवर्धन विलास निवासी जयेश कुमार खटीक और चित्तौड़गढ़ के आकोला का तूफान सिंह शामिल है। बुधवार को इन तीनों के सबसिटी सेंटर में होने की सूचना मिली। डीएसटी प्रभारी श्याम सिंह रत्नू और हिरणमगरी सीआई भरत योगी ने टीम के साथ दबिश देकर इन्हें पकड़ा। ये तीनों कार में लेपटॉप और मोबाइल पर काम कर रहे थे।
खातों की नॉलेज नहीं, गरीब-आदिवासी निशाने पर रहते
ख़बरों के अनुसार – हर्षवर्धन के मोबाइल में पीआरटी-ओटीपी बैंकिंग नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बना हुआ है। तूफान के मोबाइल में टेलीग्राम पर 008 जीप 2000 यूएसडीटी के नाम से ग्रुप बना था। इनमें अलग-अलग बैंक खाता व एटीएम कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर, एटीएम धारक की जानकारी, कस्टमर आईडी, खातों के लिंक मोबाइल नंबर, क्यूआर कोड और ओटीपी शेयर किए हुए थे। ग्रामीणों की खातों की केवाईसी अधूरी होने पर ये बैंक कर्मी बनकर इसे पूरी कराने के बहाने डिटेल हासिल कर लेते थे। बाद में इन दस्तावेजों के सहारे ही मोबाइल नंबर भी दूसरा लिंक कर देते हैं और नेटबैंकिंग शुरू कर देते हैं। इनसे ये खाते ऑनलाइन ठगी करने वाले बदमाश खरीदते और ठगी की राशि इनमें डलवाते हैं। सभी डिटेल होने के कारण राशि को इधर से उधर भी ये खुद ही कर देते हैं। जयेश शहर में सट्टे की आईडी भी बेचता है। वह रेडीअने और महादेव की ऑनलाइन साइट से 15-20 लाख में आईडी लेता है। फिर इसे ग्राहकों को बेचता है।
चित्तौड़ के 4, उदयपुर के 3 युवकों ने बेची खातों की डिटेल
ख़बरों के अनुसार – आरोपी तूफान ने कबूल किया है कि चित्तौड़ के भानू, भूपालसागर निवासी सचिन, मंगलवाड़ के सुरेश वैष्णव, आकोला के दिनेश मेनारिया और उदयपुर के फतेहनगर के राजेश जाट, किशन गुर्जर, राज वैष्णव से बैंक खातों की डिटेल खरीदते थे। वह ऑनलाइन सट्टा लगाने के लिए टेलीग्राम ग्रुप 008 जीप पर बैंक खातों की संख्या और मोबाइल नंबर की जानकारी शेयर करता है। इसने अब तक 142 खातों की जानकारी शेयर की थी।