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उत्तराखंड रेलवे जमीन अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्टे

supreme court

उत्तराखंड में रेलवे की जमीन से 4 हजार परिवारों को हटाए जाने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं। उनका पुनर्वास जरूरी है, ये होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया गया है। वहां करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। हमने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है।

इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि लोगों के पास ये जमीन आजादी के पहले से है। उनके पास सरकार की लीज भी है। सरकार कह रही है कि वह जमीन उसकी है और रेलवे कह रहा है कि उसकी जमीन है। इस पर बेंच ने कहा कि निश्चित तौर पर जमीन रेलवे की है तो उसे इसे डेवलप करने का अधिकार है। लेकिन अगर इतने लंबे समय से इतने ज्यादा लोग वहां पर रह रहे हैं तो उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लोग दावा कर रहे हैं कि वो 1947 के बाद यहां आए थे। ये प्रॉपर्टी नीलामी में रखी गई थी। डेवलपमेंट कीजिए और पुनर्वास की मंजूरी दी जानी चाहिए। आप 7 दिन में जमीन खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं?

क्या है मामला?

दरअसल, उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर कई साल पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए और बस्तियां बसती चली गईं। नैनीताल हाईकोर्ट ने इन बस्तियों में बसे लोगों को हटाने का आदेश दिया था। रेलवे ने समाचार पत्रों के जरिए नोटिस जारी कर अतिक्रमणकारियों को 1 हफ्ते के अंदर यानी 9 जनवरी तक कब्जा हटाने को कहा था। रेलवे और जिला प्रशासन ने ऐसा न करने पर मकानों को तोड़ने की भी चेतावनी दी। इसके बाद लोग घरों को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

आपको बता दें कि हल्द्वानी ​​​​​​के ​बनभूलपुरा में 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। इनमें अधिकतर मुस्लिम हैं। जानकारी के अनुसार आजादी के पहले इस हिस्से में बगीचे, लकड़ी के गोदाम और कारखाने थे। इनमें उत्तर प्रदेश के रामपुर, मुरादाबाद और बरेली के अल्पसंख्यक समाज के लोग काम करते थे। धीरे-धीरे वह यहां बसते गए और रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर कब्जा हो गया। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का यह इलाका करीब 2 किमी से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करता है। इन इलाकों को गफ्फूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से जाना जाता है। यहां के आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और 4 मंदिर हैं।

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