जोधपुर सिलेंडर ब्लास्ट मामले में मौतों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। गुरुवार को भी दूल्हे की बहन समेत 7 महिलाओं की मृत्यु हो गई। वहीं 7 दिन में मौत का आंकड़ा 32 तक पहुंच गया है। इधर, मुआवजा समेत अन्य मांगों को लेकर समाज के लोग गुरुवार से धरने पर बैठ गए हैं और मांगें पूरी नहीं होने तक बॉडी लेने से मना कर दिया है।
जानकारी के अनुसार इस हादसे में गुरुवार को 2 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वहीं 17 घायल अब भी एडमिट हैं। हादसे के बाद से अब तक गांवों में मातम छाया हुआ है। वहीं, हादसे के बाद महात्मा गांधी अस्पताल में समाज के लोग धरने पर बैठ गए हैं। सर्व समाज के लोग मृतक के आश्रित को एक सरकारी नौकरी 50 लाख रुपए व घायलों को 25-25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, दूल्हे के क्षतिग्रस्त मकान जले गहने में सामान के बदले मुआवजा व नया मकान बनवाने की मांग कर रहे हैं।
इधर, हादसे के बाद अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। गुरुवार देर रात नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ महात्मा गांधी हॉस्पिटल पहुंचे और गैस हादसे के घायलों की कुशलक्षेम पूछी। राठौड़ ने कहा कि इस त्रासदी के 9 दिन बाद भी सरकार ने सिर्फ 2 लाख की सहायता दी है। यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। घटना का मूल कारण जिस गैस एजेंसी के सिलेंडर फटने से हुई है। संबंधित गैस कंपनी के सीएसआर फंड से प्रत्येक मृतक परिवार को एक 1 करोड़ मिलने चाहिए और घायलों को एअर लिफ्ट और इलाज के खर्च की राशि भी जल्द से जल्द जारी की जानी चाहिए।