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मल्लिकार्जुन खड़गे चुने गए कांग्रेस के नए अध्यक्ष, शशि थरूर हारे

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को आख़िरकार 24 साल बाद पहला गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को 6,825 वोटों से हरा दिया। खड़गे को 7,897 वोट मिले, वहीं शशि थरूर के हिस्से में 1072 वोट ही आए। जबकि 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए।

नतीजों के तुरंत बाद शशि थरूर ने मल्लिकार्जुन खड़गे को बधाई दी और अपना साथ देने वालों को धन्यवाद दिया। इसके बाद वे खड़गे से मिलने उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे। हालांकि, उनके चीफ इलेक्शन एजेंट सलमान सोज ने वोटिंग में धांधली का आरोप लगाया है।

इस चुनाव में जीत के साथ ही खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले 65वें नेता बन गए हैं। वे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता भी हैं। बाबू जगजीवनराम कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित नेता थे। आजादी के बाद 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही। वहीं, 33 साल पार्टी अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही है। इसमें भी 22 साल तक सोनिया गाँधी और दो साल राहुल के पास कमान रही है।

आपको बता दें कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद चुनावी मैदान में थे। उस समय सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए थे। उसके बाद से सोनिया गाँधी जी पार्टी की कमान संभाल रही थी।

उल्लेखनीय है कि पिछले 44 वर्षों में से सिर्फ 6 वर्ष तक गैर गाँधी (पीवी नरसिंहा राव और सीताराम केसरी -1992 से 94 और 1996 से 98 ) बाद के पिछले 24 साल से वर्तमान गाँधी परिवार के पास ही अध्यक्ष की कुर्सी रही है। इसमें से भी 2 साल ही राहुल जी के हैं, बाकी के 22 साल सोनिया जी ही अध्यक्ष थीं।

अब से ऐसे समझिए कि पिछले 44 साल में से सिर्फ 6 साल किसी गैर गाँधी के पास अध्यक्ष की कमान रही है। बाकी के 38 वर्षों में सिर्फ इंदिरा जी, राजीव जी, सोनिया जी और राहुल जी ही अध्यक्ष रहे हैं। अब कांग्रेस की नाव को पार लगाने का काम मल्लिकार्जुन खड़गे जी को सौंपा गया है। खड़गे जी की लड़ाई दक्षिण पंथी विचारधारा वाली उस भाजपा से है, जिसका मुख्य मुद्दा ही हिंदुत्व है।

और यह इस बयान से कभी नहीं जीता जा सकता है कि “मोदी जी को अगर और शक्ति मिलेगी देश में, तो समझो फिर इस देश में सनातन धर्म और RSS की हुकूमत आएगी।” ऐसे में लड़ाई न सिर्फ कठिन है, बल्कि लम्बी भी है।

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