राजस्थान में राज्य सरकार समर्थित लगभग 91 विधानसभा सदस्यों द्वारा 25 सितम्बर को विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए सामूहि इस्तीफे के बाद भी संवैधानिक पद पर बने रहने को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, BJP प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां, राजेन्द्र राठौड़, सचेतक जोगेश्वर गर्ग सहित भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपकर इस विषय पर निर्णय लेने के लिए कहा है।
इस दौरान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, 2018 में कांग्रेस के विग्रह की शुरुआत जो राजभवन से हुई थी बाद में उसकी परिणिति राजद्रोह के मुकदमों से हुई, पीसीसी चीफ एवं डिप्टी चीफ मिनिस्टर की बर्खास्तगी से हुई, उसकी परिणिति बाड़ाबंदी के रूप में हुई, चिट्ठी पत्री से हुई, सदन में विरोध और विकार से हुई। अंततः एक ऐसा अवसर आया जब लगभग अनुमानित 90-91 सदस्यों ने स्पीकर के घर पर पूरे नियोजित तरीके से इस्तीफे दिए।
सतीश पुनियाँ (Satish Poonia) के कहा कि तय यह करना है कांग्रेस को या तो यह सियासी पाखंड था। यदि पाखंड नहीं था और इस्तीफे सच्चे थे तो इसके लिए हम लोग स्पीकर के पास आए हैं। स्पीकर महोदय को पूरा अवसर मिले, उन्होंने कहा था कि यह संवैधानिक मसला है, इसके लिए दूसरे प्रदेशों की मिसाल, देश की मिसाल इसके बारे में अध्ययन करना है तो 2 हफ्ते का उन्हें पर्याप्त समय मिला था। उन्होंने कहा कि जब यह समय हो गया तब हमने उनके दरवाजे पर गुहार लगाई है की राजस्थान (Rajasthan) में सरकार कौन चला रहा है? क्योंकि सभी विधायक सरकारी बंगला लिए हुए हैं, सरकारी खाट तोड़ रहे हैं, गाड़ी भी सरकारी है। हमारा ऐतराज यह है कि जब इस्तीफा दे दिए तो सरकार कौन चला रहा है?
बीजेपी (BJP) प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि राजस्थान में संवैधानिक मशीनरी का जो फेलियर हुआ है, अब स्पीकर साहब को यह तय करना है कि उस पर वह क्या निर्णय लेते हैं। इस पर स्पीकर ने कहा है कि मुझे थोड़ा वक्त चाहिए संवैधानिक प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए। भाजपा ने निवेदन किया कि आप इस कुर्सी पर विराजे हो, यह लोकतंत्र की यह सर्वाेच्च कुर्सी है, जो सदन के सदस्यों के प्रति यह अधिकार देती है और इस लिहाज से राजस्थान की जनता उत्सुक भी है और जनता को भरोसा है कि आप कांग्रेस के इस पाखंड पर योग्य निर्णय लेंगे।
पुनियाँ ने कहा कि यह बात ठीक है कि डिक्टेट नहीं कर सकते, हमने तो उनसे संवैधानिक अधिकारों की बात की, हमने उनसे निवेदन, आग्रह और गुहार लगाई है, देखते हैं उनका निर्णय क्या होता है। पुनियाँ के कहा कि राज्य सरकार अल्पमत में है और बंटी हुई है। यदि आप बहुमत से फैसला करते हैं तो सरकार 20 लोग तो नहीं चला रहे। उन्होंने कहा कि 102 का बहुमत हमारे पास है। लेकिन 90-91 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। ऐसे में इस्तीफों के बाद सरकार अल्पमत में आ ही जाती है।