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राजस्थान में सरकार बचाने का सारा दारोमदार सीपी जोशी के हवाले, चाहे तो एक मिनिट में गिर सकती है सरकार

राजस्थान में आधे से ज्यादा विधायकों की सदस्यता पर तलवार, विधानसभा अध्यक्ष के नाते जोशी को लेना है सदस्यता का निर्णय

पार्टी ऑब्जर्वर के आने पर विधानसभा अध्यक्ष को दिए थे इस्तीफे, अभी निर्णय होना बाकी

राजस्थान की राजनीति में ऐसा शायद पहली बार हुआ है की विधानसभा में सत्ता पक्ष के लगभग सभी, और कुल सदस्य संख्या के करीब आधे से ज्यादा सदस्यों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई हो। अब इन सदस्यों की सदस्यता तय करने का सारा दारोमदार विधानसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है. वे चाहे तो सरकार एक मिनिट में गिर सकती है.

मौजूदा विधानसभा के लगभग 110 सदस्यों की सदस्यता पर विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय करना है। इन सदस्यों की सदस्यता अलग-अलग कारणों से विवाद में है। इनमे से सर्वाधिक 92 विधायको की सदस्यता खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कारण खतरे में आई है. दरअसल गहलोत समर्थक विधायकों ने बीती 25 सितम्बर को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपने अलग अलग एक लाइन के इस्तीफे सौंपे थे।

खुद मुख्य सचेतक महेश जोशी ने इन 92 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपने का दावा किया था। इसके पहले 19 विधायकों की सदस्यता का मामला विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के पास 2020 से ही लंबित चल रहा है। वही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की सदस्यता का मामला भी विचाराधीन ही है।

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इन पर होना है निर्णय

यूं तो जिन 92 विधायकों ने गहलोत के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे दिये थे वे प्रक्रिया शुरू होने से पहले अपना निर्णय बदल सकते हैं। वहीं साल 2020 में कांग्रेस में उठे  बवाल के बाद मुख्य सचेतक महेश जोशी ने अपनी ही पार्टी के 19 विधायकों की सदस्यता को विधानसभा अध्यक्ष के सामने चुनौती दी. इन विधायकों का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है. इसी प्रकार बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों की सदस्यता का मामला भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

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